क्या लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी होंगी गिरफ्तार

लालगंज 
वैशाली के एनडीए से लोजपा प्रत्याशी वीणा देवी का नामांकन रद्द होने से बच गया है. लेकिन उनकी मुश्किलें अभी आसान नहीं हो पाई है. अब वीणा देवी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. वीणा देवी और उनके पति जद-यू के एमएलसी दिनेश प्रसाद सिंह के खिलाफ 9 साल से भी अधिक समय से गैर-जमानतीय वारंट जारी है. बता दें कि हाजीपुर कोर्ट द्वारा जारी वारंट को आजतक तामिला नहीं किया गया है. वीणा देवी पर राजद द्वारा नामांकन दाखिल करने में अपराधिक तथ्यों को छुपाने का आरोप लगाये जाने के बाद अब चर्चा का बाजार गरम हो गया है. बता दें कि वीणा देवी ने नामांकन के दौरान दिये गए शपथ-पत्र में इस बात का जिक्र नहीं किया था कि उनके खिलाफ साल 2005 में लालगंज थाना में मामला दर्ज हुआ था.

राजद प्रत्याशी रघुवंश प्रसाद सिंह ने जब इस मामले में कोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानतीय वांरट जारी होने की बात वैशाली के रिटर्निंग ऑफिसर को बताई तो खलबली मच गई. लेकिन दो बार अतिरिक्त समय देकर मुजफ्फरपुर के डीएम और वैशाली के रिटर्निंग ऑफिसर ने इस दलील को स्वीकार कर लिया कि वीणा देवी को इस मुकदमे के बारे में जानकारी नहीं थी. इस तरह वीणा देवी लोजपा के टिकट पर वैशाली से चुनाव मैदान में लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है.

बता दें कि फरवरी 2005 के बिहार विधानसभा चुनाव में लालगंज से राजद प्रत्याशी के तौर पर वीणा देवी चुनाव लड़ रही थी. लालगंज के कमालपुर के बूथ संख्या 18 पर बूथ लूटने के लिए वीणा देवी और दिनेश प्रसाद सिंह समेत कुल 14 अभियुक्तों के खिलाफ रामनरेश पासवान ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी. आईपीसी की धारा 143, 147, 427, 379 और आर्म्स एक्ट के साथ ही एससी एसटी एक्ट में सभी के खिलाफ केस दर्ज किया गया था. लेकिन इस मामले में कोर्ट द्वारा लगातार अभियुक्तों की उपस्थिति के लिए आदेश दिया जाता रहा और कोर्ट की अनसुनी की जाती रही है. कोर्ट ने 28 अक्टूवर 2009 को ही वीणा देवी और दिनेश प्रसाद सिंह के खिलाफ गैर-जमानीय वारंट जारी किया है जो आज तक चल रहा है.

राजद प्रत्याशी रघुवंश प्रसाद सिंह साफ-साफ आरोप लगा रहे हैं कि सत्ता में होने का लाभ हुक्मरानों द्वारा पहुंचाया जा रहा है. ऐसे में भला किसी की गिरफ्तारी हो कैसे सकती है. उन्होंने कहा कि रूल ऑफ लॉ का शासन कहने वाले के लिए इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता. इसमें 9 साल से अधिक समय से गैर-जमानतीय वारंट गंभीर धाराओं में होने के बाद भी अभियुक्तों को कानून का डर नहीं सताता है.

वहीं वीणा देवी के अधिवक्ता शशिभूषण कुमार मंगलम ने कहा कोर्ट द्वारा वारंट जारी तो हुआ है, लेकिन मेरे मुवक्किल तक पहुंचा ही नहीं है. जब वारंट आयेगा तो कानून का सम्मान किया जायेगा. अब बड़ा सवाल यही है कि सरकार और प्रशासन के बचाव में चलने वाले इस दम्पत्ति को अब चुनाव आयोग से राहत मिलती है कि नहीं. क्या कानून का ठेंगा दिखाकर वैशाली जैसी लोकतंत्र की जननी वाली जगह से वीणा देवी कानून के समक्ष सरेंडर कर चुनाव लड़ती है या कानून को ठेंगा दिखाकर जनता से वोट मांगती है.

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