क्या इस बजट में सरकार आमदनी पर ये तीन टैक्स हटाएगी ?

नई दिल्ली
ज्यादातर लोग अपनी आमदनी पर टैक्स बचाने के लिए तरह-तरह की जुगत लगाते हैं। कल्पना कीजिए, जब आपको उस आमदनी पर टैक्स देना पड़े जो आपको हुई ही नहीं और शायद कभी हो भी नहीं सकती, तो कैसा लगेगा? ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले हैं जहां ऐसा ही हो रहा है। कोई तर्कपूर्ण दलील के अभाव में इन करों का सही आकलन भी मुश्किल होता है। आइए ऐसे ही तीन टैक्सेज पर नजर डाला जाए…

बिना किराए पर लगे घरों के किराए पर टैक्स
लोगों की आमदनी बढ़ने और आसानी से होम लोन मिल जाने के कारण कई मध्यवर्गीय करदाता एक से ज्यादा घर भी खरीदने या बनवाने लगे हैं। इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत जिन लोगों के पास एक से ज्यादा मकान हैं, उन्हें उनकी पसंद के किसी एक ही मकान को उनका आवास माना जाता है। I-T ऐक्ट के तहत उनके मालिकाना हक वाले शेष सारे मकान को किराए पर मान लिया जाता है और उन पर बाजार दर पर किराए का आकलन कर टैक्स वसूला जाता है, भले ही वह मकान खाली हो और एक रुपये भी किराया नहीं आ रहा हो।

ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि मौजूदा टैक्स कानून के तहत मकान से हो रही कमाई के आधार पर नहीं, बल्कि मालिक को कमाई कराने की मकान की क्षमता के आधार पर टैक्स का आकलन किया जाता है। वैसे दुनियाभर में स्विटजरलैंड, आइसलैंड, स्पेन और बेल्जियम जैसे कुछ देशों में ही खाली प्रॉपर्टी से भी अनुमानित आय पर टैक्स वसूला जाता है। रियल एस्टेट सेक्टर की मंदी के मद्देनजर अगर इस टैक्स को हटा दिया जाए तो संभावित होम बायर्स उत्साहित होंगे और जिससे सेक्टर में जान लौट सकती है।

एंप्लॉयीज स्टॉक ऑप्शन प्लांस (ESOPs) की टाइमिंग
ESOPs टैलंट को कंपनी जॉइन करने और उन्हें लंबे समय तक जोड़े रखने का एक लोकप्रिय जरिया है। गुणवान कर्मचारियों को मुफ्त में एंप्लॉयीज स्टॉक ऑप्शन प्लांस जारी किए जाते हैं, लेकिन भंजाने के वक्त इन पर टैक्स लगता है। इस पर टैक्स की गणना उचित बाजार मूल्य और एंप्लॉयी द्वारा भुगतान की गई रकम के आधार पर की जाती है। हालांकि, अगर एंप्लॉयी अपने शेयर नहीं बेचता है तो ESOPs से काल्पनिक कमाई को ही ध्यान में रखा जाता है। ऐसे में यह मामला तब पेचीदा हो जाता है जब ESOPsकी बिक्री पर लॉक-इन पीरियड की शर्तें लाद दी जाती हैं या ESOPs जारी करने वाली कंपनी शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं होती है। ऐसे में एंप्लॉयी को इसी काल्पनिक आय पर टैक्स देना होता है। चूंकि सरकार स्टार्ट अप सेक्टर के लिए सहयोगी माहौल तैयार करने पर जोर दे रही है, इसलिए इस बजट में ESOPs से हुई इनकम पर टैक्स लगाने की टाइमिंग में बदलाव किया जाएगा। तब शेयरों की बिक्री और उससे एंप्लॉयी को वास्तव में हुई आमदनी पर टैक्स लगाया जाएगा।

अप्रूव्ड सुपरएनुएशन फंड पर दोहरा टैक्स
1.5 लाख रुपये के अतिरिक्त अप्रूव्ड सुपरएनुएशन फंड में एंप्लॉयर द्वारा जमा की गई रकम पर टैक्स वसूला जाता है। सुपरएनुएशन बेनिफिट्स तभी मिलते हैं जब एंप्लॉयी रिटायर हो जाता है। गौरतलब है कि ज्यादातर मामलों में रिटायरमेंट की उम्र 58 वर्ष है। उचित तो यह है कि एप्लॉयर द्वारा जमा की गई रकम पर बिना शर्त कोई टैक्स नहीं लगना चाहिए क्योंकि मौजूदा प्रावधान के तहत रिटायरमेंट से पहले फंड की निकासी या एकुश्त निकासी पर दोहरा टैक्स लग जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *