कृषि विभाग के फरमान ने बढ़ाई सहकारी बैंको की मुश्किलें 

भोपाल
जयकिसान कर्जमाफी योजना में प्रदेश के 28 लाख किसानों पर अठारह हजार करोड़ रुपए का कर्ज बाकी है। इसमें 45 प्रतिशत कर्ज ऐसा है जो कालातीत हो चुका है। डूबत कर्ज की श्रेणी में आ गया है और इसका वापस आना मुश्किल है। ऐसे में सरकार के दो फरमानों ने सहकारी बैंको और सहकारी समितियों की मुश्किल बढ़ा दी है। एक फरमान यह है कि डूबत कर्ज का पचास फीसदी सरकार देगी और पचास प्रतिशत सहकारी बैंको को वहन करना होगा। 

दूसरा फरमान यह है कि सहकारी बैंक कर्जमाफी के लिए राज्य सरकार से राशि मिलने की राह नहीं देखे। वे स्वीकृत कर्जमाफी के प्रकरण तत्काल माफ करते चले। बाद में राज्य सरकार उन्हें ब्याज सहित राशि का भुगतान करेगी।

कृषि विभाग ने एक आदेश सभी कलेक्टरों को जारी कर कहा है कि सहकारी बैंको के चालू और कालातीत फसल ऋण माफी योजना के तहत ऋण खातों में कलेक्टर लॉग इन से स्वीकृत तथा जिला स्तरीय क्रियान्वयन समिति से अनुमोदित प्रकरणों की हितग्राहीवार सूचियां पोर्टल से जनरेट की जाएंगी। इसमें प्रकरण जय किसान फसल ऋण माफी योजना में स्वीकृत किए जाते है का उल्लेख कर  इस पर कलेक्टर और उप संचालक कृषि के हस्ताक्षर करने के बाद ये सूचियां केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखा के माध्यम से प्राथमिक सहकारी समितियों को उपलब्ध कराने की व्यवस्था कलेक्टरों को करना है।

जो डूबत कर्ज है उनपर कलेक्टरों की मंजूरी प्राप्त करने के बाद ऋण मुक्ति प्रमाणपत्र पर शाखा प्रबंधक के हस्ताक्षर के बाद लाभान्वित किसानों को तहसील स्तर पर कार्यक्रमों में प्रदान किए जाए। आदेश में कहा गया है कि समिति को आरबीआई और नाबार्ड के नियमों के तहत शासन द्वारा स्वीकृत वन टाइम सेटलमेंट योजना के अनुसार वास्तविक देय राशि की गणना केन्द्रीयकृत व्यवस्था के तहत अलग से की जाएगी।

सहकारी समिति जिस दिन ऋण मुक्ति प्रमाणपत्र जारी करेंगी उस दिन से जब उन्हें वास्तविक रुप में राशि प्राप्त होंने के  बीच की अवधि के लिए राज्य सरकार शासन स्तर पर निर्धारित  ब्याज दर एवं प्रक्रिया के तहत संबंधित सहकारी समितियों को अतिरिक्त राशि का भुगतान किया जाएगा।

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