कांग्रेस की नींव में भाजपा की सेंध…तमाम दिग्गज कांग्रेसी बदल चुके हैं पाला

लखनऊ
 संगठन में बड़े बदलाव कर कांग्रेस खड़ा होने की कोशिश कर रही है और भाजपा है कि उसकी नींव में सेंध लगाए जा रही है। तमाम नेता अपनी पार्टी का हाथ झटककर खिलते जा रहे कमल की ओट में जा बैठे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने जिस तरह से पुरानों को किनारे कर नए चेहरों को आगे किया है, उससे भी कई कार्यकर्ता 'कोप भवन' में जा बैठे हैं, जिनकी नाराजगी धीरे-धीरे सामने आ रही है।

विरासत में मिली कांग्रेस की सियासत छोड़कर प्रतापगढ़ की पूर्व सांसद रत्ना सिंह मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गईं। कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका है। इनसे पहले अमेठी से पूर्व सांसद संजय सिंह, रायबरेली के एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह पाला बदलकर सत्ताधारी दल के साथ आ चुके हैं। रायबरेली से ही विधायक राकेश सिंह और अदिति सिंह ने कांग्रेस से खुली बगावत कर दी है। यह तो कुछ प्रमुख चेहरे हैं। इसके अलावा अब तक कई कांग्रेसी कार्यकर्ता पार्टी को छोड़ चुके हैं। मिशन 2022 की तैयारी में जुटी कांग्रेस के लिए संगठन में मची यह खलबली चिंताजनक हो सकती है। हाल ही में जिस तरह से उत्तर प्रदेश की टीम बनाने में कांग्रेस ने पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे किया है, उससे भी असंतोष है।

उत्तर प्रदेश की नई टीम गठित करने में जो फॉर्मूला अपनाया गया है, उसके पीछे कांग्रेस की अपनी रणनीति होगी, मगर कुछ अजीब स्थिति है कि प्रदेश कमेटी में ऐसे पदाधिकारी रखे गए हैं, जिन्हें प्रदेश कांग्रेस अनुशासन समिति के वह सदस्य भी नहीं जानते-पहचानते, जो करीब 35 वर्ष में पार्टी में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। इसका जिक्र खुद अनुशासन समिति के सदस्य एवं पूर्व विधायक विनोद चौधरी ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे त्याग पत्र में किया है।

विनोद चौधरी ने त्याग पत्र में लिखा है कि बदली हुई परिस्थितियों और राजनीतिक नए समीकरणों में मैं कार्य करने में अपने को असहज महसूस कर रहा हूं। संगठन में नए पदाधिकारियों में मैं अधिकांश लोगों को नहीं जानता। पूर्व विधायक ने समिति से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले बनारस के पूर्व सांसद राजेश मिश्रा भी प्रियंका वाड्रा की सलाहकार समिति में शामिल होने से इन्कार कर चुके हैं। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है कि जो लोग पार्टी छोड़कर जा रहे हैं, वह जल्दबाजी में हैं या छोटे-बड़े लालच में फंसे हैं। ऐसे लोग पार्टी या समाज का भला नहीं कर सकते।

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