कर्नाटक: बजट से पहले गठबंधन सरकार की मुश्किल, दूसरे दिन भी नहीं आए विधायक

 
बेंगलुरु 

कर्नाटक में कांग्रेस से नाराज चल रहे पार्टी विधायकों ने जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन की सरकार को मुश्किल हालात में लाकर खड़ा कर दिया है। गुरुवार को विधानसभा सत्र के दूसरे दिन भी कांग्रेस के नाराज विधायक सदन में नहीं पहुंचे। इसे लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी ने यह कहते हुए सदन की कार्यवाही बाधित कर दी कि सत्तारूढ़ गठबंधन ने बहुमत खो दिया है। 
 
अपनी फजीहत होते देख कांग्रेस ने शुक्रवार को बजट सत्र से पहले पार्टी विधायकों की एक मीटिंग बुलाई है और सख्त निर्देश दिए हैं कि अनुपस्थित रहने वालों के खिलाफ ऐंटी डिफेक्शन लॉ (दल-बदल कानून) के तहत कार्रवाई की जाएगी। दूसरी तरफ अटैकिंग मोड में आई बीजेपी के विधायक गुरुवार को सदन के वेल में उतर आए और स्पीकर को मजबूर कर दिया कि वह सदन की कार्यवाही को स्थगित कर दें। 
 
गुरुवार को अनुपस्थित रहे 9 विधायक
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, गुरुवार को सत्ता पक्ष के नौ विधायकों ने हाजिरी वाले रजिस्टर में हस्ताक्षर नहीं किए। हालांकि, कुछ विधायकों ने पहले से ही सूचना दे रखी थी कि वे सदन में अनुपस्थित रहेंगे। दूसरे दिन भी विधायकों की अनुपस्थिति से सत्ता पक्ष की चिंता बढ़ गई है कि कहीं ये विधायक बीजेपी से हाथ मिलाकर पार्टी ना बदल लें। 18 जनवरी को कांग्रेस के विधायकों की मीटिंग से अनुपस्थित रहने वाले चार विधायक- रमेश जारकिहोली, उमेश जी जाधव, बी नागेंद्र और महेश कुमातल्ली नोटिस दिए जाने के बावजूद गुरुवार को अनुपस्थित रहे। 

रिजॉर्ट में साथी विधायक से कथित मारपीट के बाद से ही विधायक जे एन गणेश फरार चल रहे हैं और सदन से भी अनुपस्थित हैं। कांग्रेस के अलावा जेडीएस के के सी नारायण गौड़ा भी बुधवार से सदन में नहीं आ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, गौड़ा भी कथित रूप से बीजेपी के संपर्क में हैं। हालांकि, उन्होंने एक स्थानीय न्यूज चैनल से बातचीत में स्वास्थ्य संबंधी समस्या का हवाला दिया है। 
 
कांग्रेस के सीनियर नेताओं को विधायकों पर भरोसा 
इस सबके बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इन चार विधायकों के अलावा बी सी पाटिल पर पूरा भरोसा जता रहे हैं। कांग्रेस के विधायकों को कहा गया है कि वह मीटिंग में शामिल हों और बजट सत्र और अन्य चीजों के बारे में विधायक दल के नेता सिद्धारमैया से बात करें। विधायकों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट किया गया है कि अगर वे मीटिंग में नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ ऐंटी डिफेक्शन लॉ के तहत कार्रवाई की जाएगी। 

हालांकि, इससे पहले 18 जनवरी को हुई कांग्रेस के विधायकों की मीटिंग से पहले भी ऐसा ही एक नोटिस जारी किया गया था लेकिन ये चारों विधायक इस मीटिंग में नहीं पहुंचे थे। इसी के बाद कांग्रेस ने बीजेपी पर विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था और अपने विधायकों को एक रिजॉर्ट में भेज दिया था। 
 
विधायकों ने विप को भी किया नजरअंदाज 
जेडीएस और कांग्रेस की ओर जारी किए गए विप को नजरअंदाज करते हुए कांग्रेस के नौ और जेडीएस के एक विधायक बुधवार को सदन से अनुपस्थित रहे थे। इसके चलते बीजेपी विधायकों ने राज्यपाल वजूभाई वाला के दोनों सदनों के साधा संबोधन में भी व्यवधान डाला। बीजेपी ने यह भी कहा है कि वह सदन में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाएगी। 

गुरुवार को जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो बीजेपी के विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में उतर आए। इस दौरान 'मुख्यमंत्री गो बैक', 'मुख्यमंत्री इस्तीफा दें' जैसे तमाम नारे लगाए गए। इसपर पलटवार करते हुए सत्तापक्ष के लोगों ने बीजेपी को अविश्वास प्रस्ताव लाने की चुनौती दी। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद जब स्पीकर रमेश कुमार ने कांग्रेस विधायक एस टी सोमशेखर से धन्यवाद प्रस्ताव पेश करने को कहा तब भी बीजेपी विधायकों की नारेबाजी जारी रही और स्पीकर ने सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी जब बीजेपी विधायकों की नारेबाजी बंद नहीं हुई तो सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। 
 

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