करगिल वर्षगांठ से पहले ग्वालियर एयरबेस पर टाइगर हिल हमले का चित्रण

ग्वालियर
करगिल विजय के बीस साल पूरे हो रहे हैं, इस मौके पर ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन पर सेमीनार का आयोजन हो रहा है, जिसमें भारत के वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे. गौरतलब है कि ग्वालियर का महाराजपुरा एयरबेस  इंडियन एयरफोर्स के मिराज एयरक्राफ्ट के लिए सबसे बड़ा स्टेशन है.

20 साल पहले करगिल युद्ध में मिराज अपना इतिहास लिख चुका है. करगिल युद्ध के समय मिराज ने ग्वालियर से उड़ान भरकर तीस हजार फीट की उंचाई से टाइगर हिल पर कब्जा जमाए दुश्मनों पर हमला किया था, जिसमें लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था. सोमवार के एयर शो में इसी हमले का सीन फिर से क्रिएट किया जाएगा.

करगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर’ में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज स्क्वॉड्रन को सौंपी गई थी. ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है. 1965, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में इसी एयरफोर्स स्टेशन से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी.

वहीं फरवरी में हुई एयर स्ट्राइक के दौरान भी ग्वालिय़र एयरबेस ने अहम रोल निभाया था. महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन देश का एकमात्र ऐसा एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है, यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है.

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