ऑफ द रिकार्ड: मोदी ने दिखाई हिम्मत, जिसमें 30 साल में नाकाम रहे पांच पी.एम.

 
नई दिल्ली 

विश्वनाथ प्रताप सिंह, चन्द्रशेखर, पी.वी. नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और डा. मनमोहन सिंह ने पिछले 30 सालों में देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया, लेकिन ये सभी पाकिस्तान द्वारा किए गए आतंकी हमलों के खिलाफ कड़ा रुख दिखाने और कार्रवाई करने में नाकाम रहे। 
 यदि वी.पी. सिंह ने दिसम्बर 1989 में तत्कालीन केन्द्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद को अपहरणकत्र्ताओं से मुक्त कराने के लिए आतंकियों को छोडऩे की अनुमति दी, तो उनके बाद पी.एम. बने चन्द्रशेखर ने 1990 में सैफुद्दीन सोज की बेटी को छुड़ाने के लिए जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जे.के.एल.एफ.) के आतंकियों को रिहा कराया। पी.वी. नरसिम्हा राव ने 1993 में श्रीनगर स्थित हजरतबल दरगाह बंधक मामले में आतंकियों को सेफ पैसेज (सुरक्षित रास्ता) मुहैया कराया। उन्होंने कोई कार्रवाई करने की बजाय आतंकियों को छोडऩे का रास्ता चुना। 
 अटल बिहारी वाजपेयी को दिसम्बर, 1999 में पाकिस्तान से रिश्ते सुधारने की कोशिशों के एवज में अन्य आतंकियों के साथ ही जैश के टॉप कमांडर मौलाना मसूद अजहर को कंधार विमान अपहरण कांड में रिहा करना पड़ा। दुर्भाग्य से यह वही मसूद अजहर है, जो इसके बाद से अब तक भारत में हुई लगभग सभी आतंकी घटनाओं में शामिल रहा है। कंधार कांड को अंजाम देने वाला आतंकी जरगर भी वही था, जिसे रूबिया सईद मामले में वी.पी. सिंह ने रिहा किया था। अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी छवि को लेकर तब व्यक्तिगत निराशा झेलनी पड़ी थी, जब दिसम्बर, 2001 में जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमलावरों ने भारतीय संसद भवन पर हमला किया और वाजपेयी इसका बदला लेने में नाकाम रहे। इस हमले का मास्टरमाइंड भी वही मसूद अजहर था। 
 डा. मनमोहन सिंह जरूर 26 नवम्बर, 2008 को मुंबई पर हुए आतंकी हमले का जवाब सर्जिकल एयर स्ट्राइक से देना चाहते थे। वायुसेना के तत्कालीन चीफ होमी मेजर सर्जिकल स्ट्राइक का प्लान लेकर मनमोहन के पास गए भी थे लेकिन तब के रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इससे युद्ध भड़क सकता है। जब यह मामला सोनिया गांधी के पास पहुंचा तो उन्होंने एंटनी का पक्ष लिया और मनमोहन को चुप बैठना पड़ा। इससे सेनाओं का मनोबल भी गिरा। 
 मंगलवार की निर्णायक कार्रवाई ने कम से कम विपक्ष द्वारा की जाने वाली उन सारी आलोचनाओं और टिप्पणियों को दरकिनार कर दिया है, जिनके जरिए सितम्बर, 2016 में उड़ी में हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाए गए थे। भारत की जवाबी कार्रवाई को पाकिस्तान ने भी स्वीकार किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वह कर दिखाया है, जो 1989 से उनके पूर्ववर्ती करने की हिम्मत नहीं दिखा सके हैं। इससे पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश गया है कि भारत सरकार किसी भी परिणाम की चिंता किए बगैर लाइन ऑफ कंट्रोल के आर-पार कार्रवाई करने से हिचकिचाएगी नहीं।

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