एक बंगला मिले न्यारा, MP में मंत्रियों की बस इतनी-सी है ख़्वाहिश

भोपाल 
मध्य प्रदेश में कमलनाथ कैबिनेट के मंत्रियों के लिए बंगले नये सिरे से सजाए-संवारे जा रहे हैं. बंगलों में फाइव स्टार सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है. बीजेपी को ये रास नहीं आ रहा औऱ कांग्रेस कह रही है शिवराज के मंत्रियों ने बंगलों की ऐसी हालत कर दी थी कि उनका रेनोवेशन ज़रूरी हो गया था.

मंत्रियों के बंगलों का रेनोवेशन होने की देर थी कि उस पर सियासत शुरू हो गयी है. सरकार कह रही है कि शिवराज के मंत्री नल और टोंटी तक निकाल ले गए. लेकिन बीजेपी आरोप लगा रही है कि अपनी फिज़ूलखर्ची रोकने के लिए कमलनाथ सरकार उल्टे-सीधे आरोप लगा रही है.

राजधानी भोपाल के सरकारी बंगलों में फाइव स्टार सुविधाएं इसलिए जुटाई जा रही हैं क्योंकि बीजेपी के मंत्रियों ने इन बंगलों को रहने के लायक भी नहीं छोड़ा. कमलनाथ के मंत्रियों की मानें तो बंगले इस हालत में छोड़े गए थे कि नल और टोटिंया तक नहीं मिले. अब रेनोवेशन न हो तो क्या हो ?

एक अनुमान के मुताबिक इन सरकारी बंगलों की सजावट पर करीब 20 करोड़ रुपए खर्च होंगे. इसी खर्च को लेकर जब फिजूलखर्ची के सवाल उठे तो बात बीजेपी के मंत्रियों के रवैये की सामने आई. वैसे ऐसा पहली बार नहीं है जब नेता जिस बंगले में रहे हों उसी बंगले का सामान लेकर गए हों. सवाल ये कि क्या वाकई में ये सही है और अगर एमपी में ऐसा हुआ है तो फिर सरकार इस पर कार्रवाई क्यों नहीं करती.

सवाल ये भी उठ रहा है कि बंगलों में बार-बार रिनोवेशन के लिए पीडब्ल्यूडी भी ज़िम्मेदार है.कई बार मंत्रियों के बंगला खाली करने के बाद भी पीडब्ल्यूडी उसमें से पंखे-टोंटी नहीं निकालता या निकालते वक्त सामान में टूट-फूट हो जाती है. नए मंत्री के आने पर फिर नए सिरे से सामान खरीदने और लगाने का सिलसिला शुरू होता है.

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