एक-दूसरे से ऐसे अलग होते हैं राज्य और केंद्र के बजट, जानें ये फैक्ट

 
नई दिल्ली     
   
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई को मोदी 2.0 का पहला बजट पेश करेंगी. केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकारें भी हर साल अपना बजट पेश करती हैं. क्या आपको पता है कि राज्य और केंद्र का बजट कैसे अलग होता है. इनमें कहां क्लैश और किन बिंदुओं में समानता होती है.

केंद्र सरकार का वित्त मंत्रालय हर साल अपना बजट पेश करता है. वित्त मंत्रालय बजट के जरिए अगले एक साल तक देश में आय-व्यय का ब्योरा तैयार करता है. इसमें सरकार साल भर में कहां-कहां से राजस्व जुटाएगी और कहां कितना खर्च करेगी यह तय होता है. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के अनुसार केंद्रीय बजट में सरकार की साल भर की अनुमानित आमदनी और खर्च का लेखाजोखा होता है.

देश का बजट होता है सबके लिए खास

देश के बजट में देश भर के तमाम स्रोतों से आने वाले पैसे और तरह-तरह के मदों में होने वाले खर्च की विस्तृत योजना होती है. साथ ही देश भर में टैक्स की दरें क्या रखेगी. इसे पूरा वित्त विभाग तैयार करता है और कई महीनों के मेहनत के बाद वो बजट तैयार होता है. बजट से पहले कई सेक्टर की अलग-अलग मांग रहती है. मसलन कोई चाहता है कि टैक्स कम हो जाएं तो किसी की खास वस्तुओं में सब्सिडी की मांग रहती है. इस बजट में केंद्र सरकार के तहत चलने वाली सभी सुविधाएं जैसे कि रेलवे, हवाई यात्रा से लेकर केंद्रीय अस्पताल, केंद्रीय यूनिवर्सिटी का भी बजट शामिल रहता है जो कि राज्य सरकार के बजट में नहीं होता.  

 अलग होता है राज्य सरकार का बजट

केंद्र की तरह राज्य सरकार भी अलग Budget हर साल राज्य की विधानसभा में पेश करती हैं. अगर समानता की बात करें तो राज्य सरकारें अपने बजट में सड़कों का निर्माण व रखरखाव से लेकर वो भी परिवहन को शामिल करती हैं. लेकिन ये राज्य बस परिवहन होता है.

ये हैं समानता और क्लैश के बिंदु

इसी तरह स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, भूमि विकास के अलावा राज्य की सिंचाई सुविधाएं आदि भी इस बजट में शामिल होती हैं. राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आने वाली सुविधाओं में बढ़ोत्तरी को सरकारें अपने बजट में शामिल करती हैं. इनमें कई बार सीमाक्षेत्र को लेकर क्लैश आते हैं. लेकिन लोगों की आमदनी पर लगने वाले आयकर इनकम टैक्स् का निर्धारण केंद्र सरकार ही करती है. जीएसटी के बाद राज्य सरकार इनडायरेक्ट टैक्स भी नहीं तय करती है. वहीं राज्य सरकारें अब आबकारी और निगम जैसे करों का निर्धारण करती हैं.

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