ई-हॉस्पिटल मॉड्यूल लागू, अब घर बैठकर भी सरकारी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कर अपॉइंटमेंट

भोपाल
देश के बडे सरकारी अस्पतालों की तरह प्रदेश के अस्पतालों में भी मरीजों को भीड़ से बचाने के लिए ई-हॉस्पिटल मॉड्यूल लागू किया था। इस प्रणाली से  मरीज घर बैठकर भी सरकारी अस्पताल में रजिस्ट्रेशन कर अपॉइंटमेंट ले सकते हैं। इस सिस्टम से हास्पिटल में मरीजों का डाटा सुरक्षित रहता है जिसका जरूरत पडऩे पर बारकोड के जरिए इस्तेमाल किया जा सकता है। साल 2015 में इस व्यवस्था के शुरू होने के बावजूद प्रचार-प्रसार और जानकारी के अभाव में चार साल में करीब प्रदेश के 38 अस्पतालों में 10 मरीज भी नहीं पंहुचे।

इ-हॉस्पिटल के पहले चरण में सभी सरकारी जिला अस्पतालों में सेंट्रल रजिस्टे्रशन सिस्टम लागू किया जा चुका है। ओपीडी के रजिस्टे्रशन से लेकर जांच और फीस जमा की कम्प्यूटराइज्ड पर्ची मिल रही है। इसके अलावा इस व्यवस्था मेंं मरीजों के आॅनलाइन रजिस्टे्रशन से लेकर डॉक्टर की उपलब्धता के बारे में जानकारी मिल सकेगी।

अस्पताल में मरीजों के रजिस्टे्रशन से लेकर डॉक्टर को दिखाने और जांच के लिए वह जहां भी जाएंगे, बारकोड के जरिए पूरी फाइल तैयार हो जाएगी। इससे केस हिस्ट्री तैयार हो जाएगी। मरीज जब दोबारा अस्पताल पहुंचता है तो एक क्लिक पर पूरा विवरण डॉक्टर के सामने आ जाता है।

इ-हॉस्पिटल से आॅपरेशन थियेटर मैनेजमेंट सिस्टम भी तैयार होगा। इससे पेंडिंग मामलों और आपातकालीन आॅपरेशन का पूरा विवरण होगा। ऐसा ही पैथालॉजी, एक्स-रे, सीटी स्कैन सहित दूसरी जांचों के बारे में भी आसानी होगी।

छिदवाडा,रायसेन,होशंगाबाद,बुरहानपुर,बडवानी,दमोह,गुना,झाबुआ,सीहोर, शिवपुरी और जबलपुर के जिला अस्पतालों में 4 सालों में एक भी मरीज आॅनलाइन अपाइंटमेंट से ओपीडी में नहीं पंहुचा।  इसके अलावा 27 अस्पताल ऐसे हैं जहां चार सालों में दस मरीज भी नहीं पंहुचे।  

एम्स भोपाल ई-हॉस्पिटल सिस्टम से ओपीडी में मरीजों की एंट्री कर रहा है। जुलाई 2015 से अब तक एम्स में 13 लाख 55 हजार 790 मरीजों की एंट्री की गई। इसके अलावा इंदौर,जबलपुर और सागर के मेडिकल कॉलेजों में 60 हजार से अधिक मरीज पंहुचे। जबकि आॅनलाइन अपाइंटमेंट लेकर एम्स में 1,82,833 मरीज डॉक्टर के पास पंहुचे इसके अलावा इंदौर मेडिकल कॉलेज में 281 और जबलपुर में 230 मरीज पहले से अपाइंटमेंट लेकर पंहुचे।

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