इस तरह व्रत करने पर मिलता है मोक्ष, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिंदू धर्म में रामनवमी का बहुत बड़ा महत्व है, इस नवरात्र का भी समापन होता है। चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में और कर्क लग्न में भगवान राम का जन्म हुआ था। इस बार यह तिथि 13 अप्रैल दिन शनिवार को है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं और राम नाम का जप करते हैं। इस बार रामनवमी पर कई विशेष संयोग बन रहे हैं। ज्योतिषों के अनुसार, इन संयोग में उपवास रखकर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रामनवमी शुभ मुहूर्त
13 अप्रैल को शुभ मुहूर्त-प्रातः सूर्योदय से 8:15 मिनट तक अष्टमी है। इसके बाद ही नवमी तिथि लग जाएगी। 13 को अष्टमी युक्त नवमी है। इसके साथ ही राम नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त 11:56 से 12:47 तक है। इस बार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 8:15 बजे से 14 अप्रैल की सुबह 6:04 बजे तक है।

राम नवमी पूजा विधि
रामनवमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान आदि से निवृत होकर भगवान राम का ध्यान करें और व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल पर सभी प्रकार की पूजन सामग्री लेकर बैठ जाएं। पूजा की थाली में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य रखें। इसके बाद रामदरबार की तस्वीर या मूर्ति की स्थापना करें और गंगाजल से छीटें दें और धूप-दीप कर घर में घट स्थापना करें।

रामलला की मूर्ति को माला और फूल से सजाकर पालने में झूलाएं। इसके बाद रामनवमी की पूजा षोडशोपचार करें और भगवान राम की आरती उतारें। आरती के बाद रामायण तथा राम रक्षास्त्रोत का पाठ करना उत्तम माना जाता है। इसके अलावा मूर्ति या फिर तस्वीर के सामने बैठकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ कर सकते हैं। भगवान राम को खीर, फल और अन्य प्रसाद चढ़ाएं। पूजा के बाद घर की सबसे छोटी कन्या के माथे पर तिलक लगाएं।

इस व्रत के विषय में अगस्त्य संहिता में कहा गया है
चैत्रशुक्ला तु नवमी, पुनर्वसुयुता यदि,सैव मध्याह्नयोगेन, महापुण्यतमा भवेद्।पुनर्वसुसमायुक्ता, सा तिथि: सवर्कामदा।।
अर्थात् चैत्र शुक्ल नवमी यदि पुनर्वसु नक्षत्र से युक्त हो और मध्याह्न में भी वही योग हो तो वह परम पुण्यप्रदान करने वाली होती है।

सरयू नदी में किया जाता है स्नान
भगवान विष्णु ने त्रेतायुग में धर्म स्थापना के लिए अयोध्या में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या की कोख से जन्म लिया था। यह भगवान विष्णु का सातवां अवतार माना जाता है। इस दिन पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और भगवान राम की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन हजारों लोग अयोध्या पहुंचकर पुण्यसलिला सरयू नदी में स्नान कर पुण्यार्जन करते हैं।

 

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