इलेक्टोरल बॉन्ड से महज 15 दिन में राजनीतिक पार्टियों को मिला 8000 करोड़ रुपए का चंदा

पुणे

राजनीतिक पार्टियों को अलग-अलग जगह से समय-समय पर चंदा मिलता रहता है. हाल ही में लोकसभा चुनाव खत्म हुए हैं और उनमें इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए महज 15 दिनों में 8000 करोड़ रुपए राजनीतिक पार्टियों को मिले हैं.

एक आरटीआई रिपोर्ट में सामने आया है कि 6 मई 2019 से लेकर 24 मई 2019 तक कई लोगों और कॉर्पोरेट्स के जरिए चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 8000 करोड़ रुपए का दान किया गया. ये राशि राजनीतिक पार्टियों को फंडिंग के तहत दान में मिले. पुणे स्थित आरटीआई कार्यकर्ता विहार दुर्वे ने ये जानकारी आरटीआई के जरिए हासिल की है.

क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड

भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, रांची और बेंगलुरु की हैं. चुनावी बॉन्डों को राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया है. इससे राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आने का दावा किया जा रहा है. सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 इस साल जनवरी में अधिसूचित की.

एक व्यक्ति, लोगों का समूह या एक कॉर्पोरेट हर महीने के पहले 10 दिनों के भीतर एसबीआई की निर्दिष्ट शाखाओं से चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है. 15 दिनों की वैधता वाले बॉन्ड 1000 रुपए, 10000 रुपए, एक लाख रुपए, 10 लाख रुपए और 1 करोड़ रुपए के गुणकों में जारी किए जाते हैं. ये बॉन्ड नकद में नहीं खरीदे जा सकते और खरीदार को बैंक में केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) फॉर्म जमा करना होता है. सियासी दल एसबीआई के अपने खातों के जरिए बॉन्ड को भुना सकते हैं.

हालांकि इसमें दान दाता को यह बताने की जरूरत नहीं है कि उसने ये बॉन्ड किस पार्टी को दानस्वरूप दिए हैं और पार्टी को यह बताने की जरूरत नहीं है कि उसे ये बॉन्ड किससे मिले हैं.

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