आतंकी मंसूबों को नाकाम बनाने के लिए NIA की ओपन FIR

 नई दिल्ली
पुलवामा हमले के एक महीने बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने जैश-ए-मोहम्मद और इसके भारत एवं पाकिस्तान स्थित सरगनाओं के खिलाफ एक 'खुली एफआईआर' दर्ज कराई है। एफआईआर में मसूद अजहर के भाई मुफ्ती अब्दुल रऊफ असगर, मुदस्सिर खान और छह अन्यों का नाम है। यह एफआईआर इसलिए दर्ज कराई गई है ताकि आतंकी संगठन ने पूरे भारत में और जितने हमलों के मंसूबे बनाए हैं, उनकी जांच की जा सके। अजहर का नाम एफआईआर में नहीं है। अजहर के बारे में बताया जा रहा है कि वह फिलहाल पाकिस्तान के एक अस्पताल में भर्ती है। 
 
सूत्रों ने बताया कि खुली एफआईआर का मकसद इसके भूमिगत काडरों, स्लीपर सेल, समर्थकों और उन लोगों को दबोचना है जो देश भर के अलग-अलग शहरों में आतंकी संगठन की आर्थिक और साजोसामान से मदद करते हैं। इससे भविष्य के हमलों को भी रोकने में मदद मिलेगी। इससे आतंकी संगठन के खिलाफ मजबूत केस बनाया जा सकेगा जिसमें इसके आतंकी मंसूबों की विस्तार से जानकारी होगी। किस तरह पाकिस्तानी सरकार और इसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से संगठन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है, इससे संबंधित विस्तृत साक्ष्य जुटाए जा सकेंगे। 
 
एनआईए ने शुक्रवार को मुदस्सिर खान के करीबी सज्जाद खान को कस्टडी में लिया। सूत्रों के मुताबिक, सज्जाद को जैश-ए-मोहम्मद ने दिल्ली में भेजा था। वह यहां अहम स्थानों की रेकी करने और शहर में छिपने का अड्डा तलाशने आया था। उसका मकसद उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों के मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवॉश करना और उनको भर्ती करना भी था। युवाओं की भर्ती के बाद वह उनको हथियार चलाने, विस्फोटकों को हैंडल करने और अन्य गतिविधियों के प्रशिक्षण देने की योजना थी। इस सबके अलावा वह आतंकी गतिविधियों के लिए पैसे भी जुटा रहा था। शॉल बेचने वाले के भेष में वह अपने मंसूबों को अंजाम दे रहा था। 
 
सूत्रों ने बताया कि खुली एफआईआर का मतलब यह है कि एनआईए जम्मू-कश्मीर के अलगाववादियों की भूमिका की भी जांच कर सकेगी। भारत में जैश-ए-मोहम्मद के साथ मिलकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वाले अन्य संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन को भी जांच के दायरे में लाया जा सकेगा। इससे भारत को जैश-ए-मोहम्मद की गतिविधियों पर विस्तृत डोजियर तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे यूएन सुरक्षा परिषद द्वारा संगठन के सरगनाओं को प्रतिबंधित कराने की भारत की कोशिश मजबूत होगी। 
 
एनआईए ने 2016 में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ भी ऐसी ही खुली एफआईआर दर्ज कराई थी। इसके बाद भारत में आईएस की गतिविधियों और इसमें शामिल होने की कोशिश करने वालों पर बड़े पैमाने पर क्रैकडाउन किया गया था। 

हाल ही में भारत ने पाकिस्तान को एक डॉजियर सौंपा था। डॉजियर में जैश-ए-मोहम्मद की रैलियों, मीटिंगों और प्रशिक्षण शिविरों की जानकारी मुहैया कराई गई थी। आतंकी संगठन के ये प्रशिक्षण शिविर पीओके और पाकिस्तान के अन्य इलाकों जैसे मनशेरा, बहावलपुर आदि में चलते हैं। 
 
एनआईए और खुफिया सूत्रों का कहना है कि इस आतंकी संगठन को बिजनस संस्थाओं और नाममात्र के चैरिटेबल फाउंडेशन के जरिए आर्थिक मदद मिलती है। इसे खाड़ी के देशों, पाकिस्तानी सरकार और आईएसआई से आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है। पाकिस्तानी सेना द्वारा संगठन को आधुनिक हथियार, विस्फोटक, तकनीकी उपकरण और सैन्य प्रशिक्षण मुहैया कराया जाता है। जैश-ए-मोहम्मद अल-रहमत ट्रस्ट नाम से एक चैरिटेबल संस्था चलाता है। इसके माध्यम से मुजाहिदीन (आतंकियों) के परिवारों की मदद के आड़ में यह चंदा जुटाता है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *