आखिर क्यों होते हैं प्रेग्नेंसी स्ट्रेच मार्क, जानें उनसे बचने के टिप्स

इसमें कोई शक नहीं प्रेग्नेंसी एक औरत के कई शरीर को कई तरह के बदल देती है। कुछ बदलाव तो ऐसे होते हैं जिसके निशान सालों तक आपके साथ ही रहते हैं। इन्हीं में से एक है प्रेग्नेंसी स्ट्रेच मार्क्स। प्रेग्नेंसी के 13वें हफ्ते से लेकर 21वें हफ्ते के बीच स्ट्रेच मार्क्स उभरने शुरू होते हैं और हकीकत यही है कि आप इन स्ट्रेच मार्क्स से पूरी तरह से बच नहीं सकतीं। हालांकि इन्हें कम जरूर किया जा सकता है, कैसे यहां जानें….

बढ़े वजन की वजह से होता है स्ट्रेच मार्क्स
पारस हॉस्पिटल गुड़गांव की डॉ अलका क्रिपलानी कहती हैं, स्ट्रेच मार्क एक तरह से घाव का निशान है जो हमारी स्किन के बहुत जल्दी फैलने या सिकुड़ने की वजह से विकसित होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान अचानक बढ़े वजन की वजह से महिलाओं को स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। करीब 90 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान पेट पर, थाइज पर, हिप्स पर और ब्रेस्ट पर पिंक, रेड, ब्राउन या पर्पल कलर के स्ट्रोक जैसे स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं।

स्ट्रेच मार्क आने में जीन्स का अहम रोल
हर महिला का स्किन टेक्सचर और स्किन की फ्लेक्सिबिलिटी अलग-अलग तरह की होती है। यही वजह है कि कई बार महिलाओं में कम वेट गेन के बाद भी ज्यादा स्ट्रेच मार्क्स हो जाते हैं। साथ ही स्ट्रेच मार्क्स आने में जीन्स का भी अहम रोल होता है। इसके अलावा वैसी महिलाएं जिनके स्किन का कलर फेयर है यानी गोरी महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स ज्यादा दिखते हैं। तो वहीं, वैसी महिलाएं जो प्रेग्नेंसी के दौरान जरूरत से ज्यादा वेट गेन कर लेती हैं उनमें भी स्ट्रेच मार्क्स ज्यादा उभर सकते हैं।

स्ट्रेच मार्क्स को कम करने का तरीका
– वेट को कंट्रोल में रखें
– हाइड्रेटेड रहें, जितना हो सके पानी और लिक्विड का सेवन करें
– पोषक तत्वों से भरपूर डायट लें डिसमें विटमिन सी और डी शामिल है
– ऐसी चीजें खाएं जिसमें जिंक की मात्रा अधिक हो
– मॉइश्चाइजर, नारियल तेल और इसेंशल ऑइल की मदद से स्ट्रेच मार्क के असर को कम कर सकती हैं

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