अयोध्या विवाद पर केंद्र का बड़ा कदम, सुप्रीम कोर्ट पहुंची मोदी सरकार

 
नई दिल्ली

अयोध्या विवाद के बीच बड़ा कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि अयोध्या में जो विवादित स्थल पर हिंदू पक्षकारों को जो जमीन दी गई है, उसे रामजन्मभूमि न्यास को सौंप दिया जाए। केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या में विवादास्पद राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद स्थल के पास अधिग्रहण की गई 67 एकड़ जमीन को उसके मूल मालिकों ( रामजन्मभूमि न्यास) को लौटाने का आदेश दे। साथ ही मोदी सरकार ने कहा कि बाकी का 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को लौटा दिया जाए। उल्लेखनीय है कि आज सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद पर सुनवाई होनी थी लेकिन जस्टिस बोबडे के छुट्टी पर जाने की वजह से इसे टाल दिया गया।

 उल्लेखनीय है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन केंद्र के पास है और इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिस भूमि को लेकर विवाद चल रहा है वो 0.313 एकड़ ही है। सरकार ने कहा कि इस विवादित जमीन को छोड़कर बाकी सारी जमीन भारत सरकार को सौंपी जाए क्योंकि इस जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है। बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार पर लगातार संत समाज दवाब बनाए हुए हैं कि राम मंदिर का निर्माण जल्द से जल्द कराया जाए। अयोध्या विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और लगातार इस पर सुनवाई टलने से भी संघ और विहिप के कार्यकर्त्ता नाराज हैं।
 
ऐसे हुआ था जमीन का बंटवारा
30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या विवाद को लेकर फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांट दिया था। जिस जमीन पर राम लला विराजमान हैं उसे हिंदू महासभा, दूसरे हिस्से को निर्मोही अखाड़े और तीसरे हिस्से को सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया गया था। इस मामले में जस्टिस सुधीर अग्रवाल, जस्टिस एस यू खान और जस्टिस डी वी शर्मा की बेंच ने तब अपना फैसला सुनाया था और जमीन का बंटवारा किया था।
 

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