अब प्रदेश के विश्वविद्यालयों को शासन ने बनाया निशाना, संघ से जुड़े अधिकारियों को दिखाएंगे बहार का रास्ता 

उज्जैन  
शासन ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों को निशाने पर लिया है। इसके पहले चरण में विक्रम विवि उज्जैन के कुलपति की नियुक्ति करने का अधिकार राजभवन ने छीन लिया है। अब शेष विवि की कतार में लगे हुए हैं। 

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विवि, रानी दुर्गावति विवि जबलपुर, जीवाजी विवि ग्वालियर के कुलपतियों की नियुक्ति भाजपा सरकार के दौरान हुई है। ये कुलपति संघ से जुडे हुए बताए गए हैं। उक्त विवि के कुलपतियों के संघ जुडे होने फोटोग्राफ शासन के पास पहुंच गए हैं। इसमें उनकी योग्यता यूजीसी के मापदंड नहीं बल्कि संघ से जुडे होना है। इसलिए शासन ने उन्हें बाहर करने का तरीका खोज निकाला है। इसलिए उनकी फाइलें तैयार होना शुरू हो गई हैं। इसकी शुरूआत उज्जैन कुलपति एसएस पांडे से हुई है। जबकि वे अपने पद से एक सप्ताह पहले इस्तीफा दे चुके हैं। 

इस्तीफा स्वीकृत केबाद कुलपति की नियुक्ति करने का अधिकार राजभवन का होता है, लेकिन संकटकाल लगाने से कुलपति की नियुक्ति करने का अधिकार शासन को मिल जाता है। इसलिए शासन ने इस्तीफा होने के बाद भी धारा 52 लगा दी। अपना कुलपति बैठाने के लिए शासन ने तीन उम्मीदवारों के नाम राजभवन भेज दिए हैं। इसमें से राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को किसी एक को कुलपति नियुक्त करना होगा। इस्तीफा स्वीकृत कर राजभवन नये कुलपति की नियुक्ति होने तक किसी को भी प्रभारी कुलपति बना सकती थीं, लेकिन उनकी लेटलतीफी शासन को अपना कुलपति बैठाने का अवसर दे गई है। 

उज्जैन विवि में धारा 52 लगाने के पहले मप्र शासन ने विधि सलाह ली है। इसमें बताया गया है कि फाइल में प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर बताया गया है कि ये धारा 52 कुलपति पांडे के खिलाफ नहीं लगाई जा रही है। जबकि धारा 52 विवि पर लगाई जा रही है। विधि सलाह के बाद शासन ने धारा 52 के आदेश जारी कर दिए हैं। 

राज्यपाल पटेल पर आरोप है कि वे भाजपा सरकार की एजेंट की तरह कार्य कर रही हैं। उन्होंने रीवा और भोपाल के आरजीपीवी कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोकस करते हुए भाषण दिया है। इसलिए वे संघ के लोगों को कुलपति नियुक्ति कर सकती हैं। 

दो वर्ष पहले भोज मुक्त विवि के कुलपति डॉ. तारिक जफर ने तत्कालीन राज्यपाल ओमप्रकाश कोहली को इस्तीफा दिया था। जिसे राज्यपाल कोहली ने स्वीकृत नहीं किया था। इसके बाद शासन ने कांग्रेस से जुडे कुलपति जफर को हटाने धारा 33 लगाकर रविंद्र कान्हेरे का कुलपति नियुक्त किया था। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *