अच्छी याददाश्त के लिए रोज करें चक्रासन

स्मरण शक्ति की कमी आज प्राय: हर आयु के लोगों में गंभीर स्वास्थ्य समस्या का रूप धारण कर चुकी है। मनुष्य के सर्वांगीण विकास में स्मरण शक्ति की विशिष्ट भूमिका होती है, किन्तु आज की इस तनावपूर्ण जीवनशैली से हमारी स्मरण शक्ति कमजोर ही नहीं हुई, बल्कि दूषित भी हुई है। यौगिक जीवनशैली, आचार-विचार तथा आहार-विहार में परिवर्तन कर इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। किन्तु यदि
इसे नजरअंदाज किया गया तो यह अनेक गंभीर बीमारियों जैसे अल्जाइमर, पार्किंसन तथा सीजोफ्रेनिया का कारण अवश्य बन जाता है। इसके समाधान हेतु निम्न यौगिक क्रियाएं लाभदायक हैं।

आसन
अत्यधिक तनाव हमारे शरीर में हार्मोनल असंतुलन उत्पन्न करता है तथा शरीर में विषाक्त रसायनों को बढ़ा
देता है। योगासन जैसे सर्वांगासन, शीर्षासन, हलासन, चक्रासन, पादहस्तासन, पाद प्रसार पश्चिमोत्तानासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन आदि के अभ्यास से हार्मोनल असंतुलन तथा शरीर के संस्थानों को रोग मुक्त किया जा सकता है।

चक्रासन की अभ्यास विधि
पीठ के बल जमीन पर सीधा लेट जाएं। दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर इनके तलवों को जमीन पर रखें तथा घुटनों को ऊपर की ओर रखें। प्रयास करें कि पंजों में एक से दो फिट का अंतर हो तथा एड़ियां नितम्बों के निकट हों। अब हाथों को कुहनी से मोड़कर दोनों हथेलियों को कानों के बगल में जमीन पर इस प्रकार रखें कि अंगुलियों की दिशा कंधों की ओर हो तथा कलाइयां कान के निकट हों। इसके बाद हाथ तथा पैरों के सहारे नितम्ब, धड़ तथा छाती को जमीन से इस प्रकार उठाएं कि शरीर अर्धवृत्ताकार हो जाएं। इस स्थिति में आरामदायक समय तक रुककर वापस पूर्व स्थिति में आएं।

आहार
सादा, संतुलित तथा सात्विक आहार लेने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। अनाज, हरी सब्जियां, मौसमी फल, आंवला, दूध, दही, छाछ, नारियल आदि पर्याप्त मात्रा में लेने चाहिए। मंडूकपर्णी की पत्तियां तथा अश्वगंधा की जड़ों का सेवन करने से भी स्मरण शक्ति बेहतर होती है। मुनक्का व अखरोट का सेवन भी लाभदायी होता है।

अन्य उपाय
’  ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए। शौच क्रिया से निवृत्त होकर पैर के तलवों तथा हथेलियों में देशी घी की मालिश पांच मिनट तक
करनी चाहिए।
’  प्रात:काल हरी घास पर खाली पैर घूमना चाहिए।
’  अपनी भूख से थोड़ा कम खाएं तथा निश्चित समय पर ही भोजन करें।
’  रात्रि में सोते समय योग निद्रा का अभ्यास करें।
’  प्रतिदिन 10-15 मिनट ध्यान का अभ्यास करें।

प्राणायाम
शरीर के विषाक्त तत्वों को बाहर निकालने, पाचन प्रक्रिया को दुरुस्त करने तथा समस्त नाड़ीय तंत्र को सशक्त एवं रोगमुक्त करने में कपालभाति,  नाड़ीशोधन, उड्डियान, जालंधर बंध और सर्वांगासन व शवासन का नियमित रूप से अभ्यास बहुत ही लाभदायी सिद्ध होता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *