अंतरिक्ष में ISRO की एक और उपलब्धि, GSAT31 को फ्रेंच गुयाना से किया लॉन्‍च

नई दिल्‍ली
भारत ने अंतरिक्ष में एक और बड़ी उपलब्‍धि हासिल की है. भारत के संचार उपग्रह जीसैट-31 को यूरोपीय कंपनी एरियनस्पेस के एरियन रॉकेट की ओर से बुधवार देर रात 2 बजे के करीब फ्रेंच गुयाना स्थित प्रक्षेपण स्थल से लांच किया गया. भारत ने पहले भी कई उपग्रह फ्रेंच गुयाना से प्रक्षेपित किए हैं और अब यह भारत की ओर छलांग है. भारत में भी कई प्रक्षेपण स्थल हैं, जहां से भारत ने कई ऐतिहासिक कारनामों का गवाह बना है.

जीसैट-31 में क्या है खास

एरियनस्पेस के अनुसार, रॉकेट एरियन 5 को लॉन्च तत्परता की समीक्षा के बाद प्रक्षेपण के लिए अधिकृत कर दिया गया है. इस रॉकेट में भारत के जीसैट-31 के साथ सऊदी जियोस्टेशनरी सैटेलाइट 1/हेलास सैट 4 भी भेजे जाएंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का कहना है कि यह 2,535 किलोग्राम वजनी है. बता दें कि जीसैट-31 40वां संचार उपग्रह है और यह भू-स्थैतिक कक्षा में कू-बैंड ट्रांसपोंडर क्षमता को बढ़ाएगा. जीसैट-31 की जीवन अवधि 15 साल है.

बता दें कि भारत में तीन रॉकेट लॉन्चिंग पैड हैं, जहां से अंतरिक्ष में रॉकेट भेजे जाते हैं. इन सभी लॉन्चिंग पैड को खास तरीके से और खास स्थान पर बनाया जाता है. जानते हैं भारत में कौन-कौन से प्रक्षेपण केंद्र हैं और वो क्यों खास है…

विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर, त्रिरुवनंतपुरम (केरल): इसे थुंबा अंतरिक्ष केंद्र के नाम से भी जाना जाता है. यह इसरो के सबसे बड़े और सर्वाधिक महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक है. इस अंतरिक्ष केंद्र पर रॉकेट, प्रक्षेपण यान और कृत्रिम उपग्रहों का निर्माण और कई तकनीकी कार्य किए जाते हैं. वीएसएससी की अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला में वायुमंडलीय विज्ञान और अन्य अंतरिक्ष विज्ञान संबंधित गतिविधियों में शोध और अध्ययन किया जाता है.

सतीश धवन स्पेस सेंटर (श्रीहरिकोटा): यह अंतरिक्ष सेंटर इसरो की सबसे पसंदीदा लोकेशन मानी जाती है. यहां से पहली बार साल 1971 में रोहिणी 125 साउंड रॉकेट प्रक्षेपित किया गया था और उसके बाद यहां से 100 से अधिक उपग्रह छोड़े जा चुके हैं. दरअसल भूमध्य रेखा के पास स्थित श्रीहरिकोटा भू-स्थिर उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए सबसे आदर्श स्थान माना जाता है.

वहीं अंतरिक्ष में जाती हुई किसी भी वस्तु से कुछ भी गिर सकता है. ऐसे में पूर्व दिशा में दूर तक बंगाल की खाड़ी और बहुत कम आबादी होने के कारण इस जगह को सुरक्षित माना जाता है. साथ ही यह रिहायशी इलाकों से दूर है और श्रीहरिकोटा से नजदीकी रेलवे स्टेशन भी 20 किलोमीटर दूर है.

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