ये ढाबा बना कानपुर-लखनऊ के बीच के सफर में बाधा

 
लखनऊ

उत्तर प्रदेश के दो प्रमुख महानगरों कानपुर और लखनऊ के बीच की दूरी महज एक घंटे में मापने की कार्ययोजना पर काम करने के योगी सरकार के दावे को राजमार्ग के बीचोंबीच स्थित एक ढाबा पलीता लगा रहा है।

उन्नाव जिले में नवाबगंज पंक्षी बिहार के निकट स्थित सूर्यांश ढाबा पर उत्तर प्रदेश परिवहन निगम की बसों का ठहराव यात्रियों के लिये नासूर बन चुका है। कानपुर और उन्नाव के डिपो से संबंद्ध चालकों और परिचालकों को सख्त हिदायत है कि वे अपने वाहन को ढाबे पर खड़ा करे वरना 500 रूपए की पेनाल्टी भुगतने को तैयार रहें। इस बात की तस्कीद ढाबे पर रूकने वाले अधिसंख्य बसों के चालक परिचालक ने खुले तौर पर की। इसके अलावा सोहरामऊ क्षेत्र में परिवहन निगम के एक सचल दस्ते ने भी बस चालकों के कथन की पुष्टि की।

कानपुर-लखनऊ के बीच की दूरी लगभग 85 किमी है, जिसे पूरा करने में साधारण बसों को दो से ढाई घंटे का समय लगता है लेकिन ढाबे में ठहराव की औपचारिकता को निभाने के चक्कर में यह समय बढकर तीन घंटे से अधिक का हो जाता है। यात्रियों की पीड़ा है कि ट्रेन के मुकाबले बस का किराया तीन गुना से भी अधिक है लेकिन ट्रेन की लेटलतीफी से बचने के लिये वे बस का सहारा लेते है। ढाबे पर बस के रूकते ही वे खुद को ढगा महसूस करने लगते हैं।

बस यात्री सुशील गौतम ने बताया ‘‘ कानपुर से लखनऊ के बीच के छोटे से सफर में ढाबे पर रूकता हास्यास्पद है। मैं उन्नाव का रहने वाला हूं और हर दूसरे तीसरे रोज मुझे काम के सिलसिले में लखनऊ जाना पडता है। मुझे अच्छी तरह पता है कि यह ढाबा नवाबगंज में एक सफेदपोश नेता का है और यही कारण है कि कई बार शिकायत पुस्तिका पर शिकायत दर्ज करने के बावजूद कोई कार्रवाई नही हुयी।’’

इस बारे में बात करने पर कानपुर मंडल के प्रबंधक अतुल जैन ढाबे पर ठहराव का बचाव करते हुये कहते है कि बस चालकों की मनमर्जी पर नकेल कसने के लिये परिवहन निगम ने अधिकृत ढाबों की व्यवस्था की है हालांकि बसों के ठहराव की कोई अनिवार्यता नहीं है और ना ही चालकों परिचालकों के लिये ऐसे कोई दिशा निर्देश जारी किये गये हैं।
 

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