पाटन लोकसभा सीट पर CM भूपेश की प्रतिष्ठा दांव पर, भतीजे विजय बघेल से है सीधी टक्कर

दुर्ग.
 मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का निर्वाचन क्षेत्र है- पाटन। यहां के मतदाता राजनीतिक जागरुकता के साथ व्यक्तित्व की परख के बाद चुनावों में फैसले के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यहां से पांच बार जीत दर्ज कर सत्ता की शीर्ष पर पहुंचे हैं। लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपने राजनीतिक गुरु की बेटी प्रतिमा चंद्राकर को मैदान में उतारा है।

दूसरी ओर विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद भाजपा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को घेरने की रणनीति के तहत उनके भतीजे विजय बघेल को मैदान में उतार दिया है। इससे यहां मुकाबला अप्रत्यक्ष तौर पर एक बार फिर भूपेश बनाम विजय होकर रह गया है।

पाटन आजादी के आंदोलन में योगदान देने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए भी जाना जाता है। यहां 70 से ज्यादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी हुए। आजादी को लेकर यहां के लोगों में ऐसा जुनून था कि गांधीजी के एक संदेश पर हर गांव में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ मोर्चा तैयार हो गया था। यहां के सेनानियों ने देश के दूसरे हिस्सों में भी जाकर आंदोलन का नेतृत्व किया।

दुर्ग-पाटन मुख्य मार्ग पर स्थित सेलूद ऐसा गांव हैं, जहां एक दर्जन से ज्यादा सेनानी हुए। वर्तमान में यहां के मुद्दे और चुनावी मूड समझने के लिए भाठापारा तालाब के किनारे बरगद के पेड़ के नीचे बैठे बुजुर्ग सुबेरू यादव से बातचीत की। उनका कहना था, वोट किसे देना है, अभी तय नहीं किए हैं।

टीकाराम साहू, रामचरण रावत का कहना था कि जिसका क्षेत्र से सतत संपर्क है, उसे ही वोट देंगे। जामगांव में चाय-नाश्ते की दुकान के सामने बैठे रौशन ठाकुर व इंद्रजीत साहू का कहना था कि जो स्थानीय मुद्दे दिल्ली में उठाकर जनता तक राहत पहुंचा सके, उसे इस बार चुनाव में जीतना चाहिए। बुजुर्ग होरीलाल व अन्य ने क्षेत्र में अब तक पर्याप्त विकास नहीं होने की बात कही।

भूपेश-विजय के द्वंद्व में मुद्दे गायब
पाटन में कांग्रेस की कमान खुद मुख्यमंत्री भूपेश संभाल रहे हैं तो यह भाजपा प्रत्याशी विजय का पुराना गढ़ है। लिहाजा चुनाव में केवल दोनों की ही चर्चा हो रही है। इस चर्चा से विकास, सड़क, बिजली, पानी जैसे मुद्दे गायब हैं। सेलूद और गाड़ाडीह इलाके में पत्थर खदानों के धमाके और प्रदूषण, खारून की पतली धार और रेत माफिया, राजधानी के करीब होने के बाद भी बेरोजगारी इस बार चर्चा से गायब है।

अब भी नहीं बना चुनावी माहौल
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी चुनावी माहौल पूरी तरह नहीं बना है। प्रत्याशी भी अभी ग्रामीण क्षेत्रों में ठीक से पहुंच नहीं पाए हैं। अलबत्ता गांवों की दीवारों पर कांग्रेस व भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान की अपील के साथ नारे जरूर नजर आते हैं। कांग्रेस व भाजपा के अलावा अधिकतर लोग और कौन-कौन चुनाव मैदान में है, यह नहीं जानते। पाटन के अलावा इससे लगे दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र की भी कमोबेश यही स्थिति है।

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