दुगनी स्पीड से फैल रहा स्वाइन फ्लू , स्वाइन फ्लू से मौतों के मामले में MP तीसरे नंबर पर

भोपाल
सरकार लगातार स्वाइन फ्लू को कंट्रोल करने के दावे कर रही है। लेकिन इसका प्रकोप दिनों दिन बढता जा रहा है। पिछले साल की तुलना में देश में स्वाइन फ्लू तेजी से पैर पसार रहा है। साल 2018 में जनवरी से दिसबंर तक देश में 14992 लोगों में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया था। इनमें से 1103 मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू के कारण हो गई थी। 

साल 2019 के शुरूआती ढाई महीनों में स्वाइन फ्लू भारत में तेजी से फैला है। 1 जनवरी से 10 मार्च तक 19385 लोगों में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव मिला है और इन सवा दो महीनों में 605 लोगों की मौत हो चुकी है। स्वाइन फ्लू को रोकने के स्वास्थ्य विभाग और सरकारी दावे फेल नजर आ रहे हैं। मौतों के मामले में एमपी इस साल के सवा दो महीनों में देश भर में तीसरे नंबर पर है।

एमपी में 2018 के बारह महीनों की तुलना में सवा दो महीनें में दो गुनी रफ्तार से स्वाइन फ्लू पैर पसार रहा है। इंटीग्रेटेड डिसीज सर्विलेंस प्रोग्राम की गाईडलाईन स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या बढाने का एक कारण है। इस गाईडलाईन के तहत स्वाइन फ्लू के संभवित मरीजों को तीन कैटेगेरी में बांटा गया है। जिनमें से स्वाइन फ्लू के लिए सुआब सेंपल लेकर सिर्फ सी कैटेगरी के मरीजों की जांच कराई जाती है। जबकि ए और बी कैटेगरी के मरीजों में भी सही इलाज न होने की स्थिति में स्वाइन फ्लू का खतरा रहता है। 

जांच की व्यवस्था वायरोलॉजी लैब में ही होने के कारण दूरस्थ इलाकों से सेंपल आने और रिपोर्ट पंहुचने में समय लगता है। भोपाल में अब तक करीब 20 मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है। और 130 से ज्यादा मरीजों में स्वाइन फ्लू पॉजीटिव पाया गया है।

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