एक दिन तीन राज्य, पीएम मोदी के मिशन पूर्वोत्तर पर ‘विरोध का साया’

नई दिल्ली

नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 के विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय पूर्वोत्तर यात्रा पर हैं. प्रधानमंत्री के शुक्रवार शाम गुवाहाटी पहुंचने पर असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) के सदस्यों ने उन्हें काले झंडे दिखाए और विधेयक के विरोध में नारेबाजी की. गुवाहाटी पहुंचे पीएम मोदी शनिवार को सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश और फिर त्रिपुरा में कई योजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण और जनसभा करेंगे. वहीं शनिवार को भी अरुणाचल प्रदेश के लिए निकलते वक्त एक बार फिर पीएम मोदी को काले झंडे दिखाए गए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के लिए होलोंगी में ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट की आधारशिला रखेंगे. फिलहाल ईटानगर के सबसे नजदीक जो एयरपोर्ट है वो असम के लीलाबरी में स्थित है, होलोंगी में एयरपोर्ट बनने से यह दूरी एक चौथाई रह जाएगी. इसके अलावा प्रधानमंत्री सेला टनल की भी आधारशिला रखेंगे. इसके बनने से तवांग घाटी तक बेहतर कनेक्टिविटी स्थापित होगी जिसका लाभ आम जन और भारतीय सेना साल भर उठा सकती है.

इसके अलावा पीएम मोदी अरुणाचल प्रदेश को समर्पित दूरदर्शन के चैनल डीडी अरुण प्रभा लॉन्च करेंगे. साथ ही आयुष्मान भारत के तहत 50 हेल्थ और वेलनेस सेंटर का लोकार्पण करेंगे. ईटानगर के बाद प्रधानमंत्री नुमालीगढ़ रिफाइनरी लिमिटेड की बायो डीजल रिफाइनरी और बरौनी-गुवाहाटी पाइपलाइन का शुभारंभ करेंगे. यह पाइपलाइन पूर्वोत्तर को राष्ट्रीय गैस ग्रिड से जोड़ने का काम करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूर्वोत्तर दौरे के तहत त्रिपुरा भी जाएंगे जहां अगरतला एयरपोर्ट पर त्रिपुरा के महाराजा बीर विक्रम माणिक्‍य किशोर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे. बता दें जुलाई 2018 में केंद्र सरकार ने अगरतला एयरपोर्ट का नाम बदलकर बीर विक्रम माणिक्‍य किशोर एयरपोर्ट किया था. बीर विक्रम त्रिपुरा के अंतिम महाराजा थे. उन्होंने 1942 में इस एयरपोर्ट का निर्माण कराया था. सामरिक दृष्टिकोण से महत्वपू्र्ण इस एयरपोर्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. त्रिपुरा में बीजेपी की सरकार बनने के बाद यह प्रधानमंत्री का दूसरा दौरा है. पीएम मोदी यहां एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे.

पूर्वोत्तर के चुनावी मायने

आगामी लोकसभा चुनाव के लिहाज से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए पूर्वोत्तर काफी मायने रखता है. यहां के आठ राज्यों में कुल मिलाकर लोकसभा की 25 सीटे हैं जिसपर बीजेपी की नजर है. त्रिपुरा को छोड़कर पूर्वोत्तर का इलाका कांग्रेस का गढ़ माना जाता था, जबकि त्रिपुरा वाम दल का मजबूत किला था. लेकिन केंद्र में सरकार बनाने के बाद बीजेपी ने बड़े ही आक्रामक ढंग से पूर्वोत्तर में अपना अभियान चलाया जिसका परिणाम हुआ कि पूर्वोत्तर में कांग्रेस और वाम दलों का किला धाराशाई हो गया. वर्तमान में यहां के सभी राज्यों में बीजेपी या बीजेपी के समर्थन से चलने वाली सरकारे हैं.

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