‘आकाश’ मिसाइल के साथ राजपथ पर राष्ट्रपति को सलामी देगा बेगूसराय का लाल

बेगूसराय 
गणतंत्र दिवस के मौके पर भारतीय इतिहास में बेगूसराय एक बार फिर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है. दरअसल, दिल्ली के राजपथ पर सेना द्वारा दिखाई जाने वाली झांकी में बेगूसराय के कैप्टन आर्यन गौतम 'आकाश' मिसाइल के साथ राष्ट्रपति को सलामी देंगे. इस उपलब्धि से कैप्टन आर्यन के पैतृक गांव रतनपुर में हर्ष का माहौल है और पूरा परिवार आर्यन को देखने के लिए लालायित है.

कैप्टन आर्यन गौतम मूल रूप से बेगूसराय जिले के रतनपुर गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता का नाम नंद कुमार गौतम और माता का नाम शर्मिला गौतम है. डीएवी स्कूल में आर्यन की मां शर्मिला गौतम शिक्षिका और पिता नंद कुमार गौतम प्राचार्य के पद पर कार्यरत हैं. आर्यन की प्रारंभिक शिक्षा बेगूसराय के रतनपुर स्थित एक प्राइवेट स्कूल में हुई. उसके बाद अपने पिता के साथ भूटान में रहकर पढ़ाई की. वहीं दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई डीपीएस स्कूल पटना से पूरी करने के बाद एनडीए की तैयारी में जुट गए और उसमें सफल रहे.

वह 10 नवंबर 2016 को लेफ्टिनेंट के पद पर भारतीय सेना में शामिल हुए और 16 दिसंबर 2018 को कैप्टन के पद में प्रोन्नति मिली. इसके तुरंत बाद 26 जनवरी को राजपथ पर आकाश मिसाइल से राष्ट्रपति को सलामी की बड़ी जिम्मेदारी आर्यन को सौंपी गई है.

आर्यन गौतम इंडियन आर्मी में कैप्टन के पद पर राजस्थान में पदस्थापित हैं और उन्हीं के यूनिट में जमीन से हवा में मार करने वाला आकाश मिसाइल शामिल है. इस उपलब्धि से कैप्टन आर्यन गौतम के परिजन और गांव के लोग काफी खुश हैं.

आर्यन गौतम के फौज में जाने की कहानी भी दिलचस्प है. आर्यन फौज से ही सेवानिवृत्त अपने दादाजी से काफी प्रभावित हुआ और उनकी वीरता की कहानी सुनकर बचपन से ही फौज में जाने की जिद पर अड़ गया. कैप्टन आर्यन गौतम के दादाजी रामनरेश सिंह सब इंस्पेक्टर के पद पर फौज में कार्यरत थे और बिहार रेजिमेंट की ओर से 1965 और 1971 कि लड़ाई में बड़ी भूमिका निभाई.

आर्यन के दादाजी रामनरेश सिंह ने बताया कि 1971 की लड़ाई में कश्मीर बॉर्डर से हमारी यूनिट ने पाकिस्तान पर धाबा बोला तो पाकिस्तान सीमा में चालीस किलोमीटर अंदर शंकरगढ़ तक फतह हासिल की और तत्कालीन शासकों ने सेना को नहीं रोका होता तो 9 किलोमीटर दूर बचे लाहौर पर भी भारत का कब्जा हो जाता और पाकिस्तान का किस्सा ही समाप्त हो गया होता.

बचपन से दादाजी की वीरता की कहानी सुनकर आर्यन ने उन्हें अपना आदर्श मानते हुए ये मुकाम हासिल किया. आर्यन के दादाजी कहते हैं कि आर्यन ने उनका सपना साकार कर दिया है. वहीं, आर्यन की दादी जो रिटायर्ड शिक्षिका हैं अपने पोते के उपलब्धि से गदगद है और बताती हैं कि आर्यन बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी तेज था और उसका लक्ष्य था कि पढ़-लिखकर सेना में बड़ा अधिकारी बनूंगा जो उसने हासिल किया.

बहरहाल, बेगूसराय के इस सपूत को राजपथ पर देखने के लिए पूरा जिला लालायित है. साथ ही साथ पूरा बेगूसराय अपने इस लाल पर गर्व कर रहा है कि अपने वीर सैनिक दादा के पोते आर्यन गौतम स्वदेश में निर्मित आकाश मिसाइल के साथ गणतंत्र दिवस के मौके पर एक बार फिर जिले का मान बढ़ाएगा.

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